• Shaktiroopa (Yatharoop)

Shaktiroopa (Yatharoop

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सभी पाठकों को अभिनंदन!
राज कॉमिक्स का सुपर हीरो!
सुपर कमांडो… ध्रुव, ध्रुव, ध्रुव!
आपमें से अधिकतर ने ये जिंगल सुना ही होगा! नब्बे के दशक में लगभग हर वीडियो कैसेट में सुपर कमांडो ध्रुव का यह एड चलता था। उस दौर में सुपर कमांडो ध्रुव का उदय ध्रुव तारे के रूप में ही हुआ जो कॉमिक्स जगत के आकाश में ब्राइटेस्ट स्टार की तरह सदा के लिए अटल हो गया। ध्रुव की चमक निरंतर हर नई कॉमिक के साथ बढ़ती चली गई।
वर्ष 2015 तक यह सिलसिला लगातार चला और ध्रुव की आखिरी कॉमिक एंडगेम के साथ थम सा गया।
परिस्थितियोंवश उसके बाद से आज तक अनुपम सिन्हा कृत ध्रुव की कोई नई कॉमिक प्रकाशित न हो सकी। हमारे ध्रुव तारे को जैसे एक ग्रहण सा लग गया।
बेशक कॉमिक प्रकाशित नहीं हो रही थी लेकिन बनने का काम निरंतर चल रहा था। ध्रुव की नई सीरीज शक्तिरूपा कॉमिक एंडगेम के बाद हमारा अगला प्रोजेक्ट थी जो लगभग तैयार ही थी। किन्तु हम सभी व्यथित थे क्योंकि लगभग 300 पृष्ठ और तीन भागों में बंटी यह महागाथा, ‘सम्पूर्ण शक्तिरूपा’ हमारे हाथ में होने के बाद भी पाठकों तक लाने योग्य नहीं थी क्योंकि इस कथानक के सभी पेज अलग-अलग क्रिएशन स्तर पर अटके हुए थे। कुछ में केवल फ्लैट कलर थे तो कुछ की अभी इंक तक नहीं हुई थी। और हमारे मन में यह तीव्र इच्छा बनी हुई थी कि ये नायाब कथा पाठकों को मिलनी ही चाहिए। लेकिन इस तीव्र इच्छा के बावजूद भी हम इस प्रोजेक्ट को आरंभ करने का समय नहीं निकाल पा रहे थे और गुजरते वक्त के साथ ही हमारी चिंता बढ़ती ही जा रही थी और कोई रास्ता भी नहीं सूझ रहा था।
कहते हैं जब सभी रास्ते बंद हो जाते हैं तब केवल एक ही राह दिखाई देती है और वह राह है भगवान की। मैं लाइब्रेरी में पुस्तकें खंगाल रहा था कि मेरे हाथ में आई श्रीकृष्ण की वाणी, ‘श्रीमद्भगवद्गीता-यथारूप’। और एकदम से मस्तिष्क में बिजली सी कौंधी।
यथारूप शब्द का अर्थ होता है, जैसा है-वैसा ही। अर्थात जो ओरिजिनल टेक्स्ट या कृति है, उसे बिना काट-छांट या बिना छेड़-छाड़ के प्रकाशित किया जाना। जैसे ही मन में यह विचार आया, मैंने मन बना लिया कि अनुपम जी की इस कृति को भी यथारूप ही पाठकों तक पहुंचाया जाए। हमें रिएलाइज हुआ कि जिसे हम अब तक कॉमिक की कमी समझ रहे थे, वही तो इस कॉमिक की खूबी होगी। लगभग 200 पेज जो फ्लैट कलर में थे वह हमें ध्रुव के उस गोल्डन एज की याद दिलाते हैं जब अतीत, जिग्सा, मौत के चेहरे, खूनी खिलौने जैसी कॉमिक्स पाठकों के बीच सफलता के नए कीर्तीमान स्थापित कर रही थीं। जो फीलींग बिना इफैक्ट्स की कॉमिकों में उन दिनों में आती थी, उतना जुड़ाव बाद की कॉमिकों में शायद महसूस नहीं हुआ।
इस कॉमिक का एक आखिरी भाग पूरा ही अनुपम जी की पेन्सिलिंग में है जो अपने आप में केवल राज कॉमिक्स ही नहीं, भारतीय कॉमिक जगत के इतिहास में भी एक नया रिकॉर्ड है। अनुपम जी की मौलिक पेन्सिलिंग कितनी डिटेल्ड होती है, वह इस भाग में आप साफ़ देख सकते हैं। यह डिटेल अक्सर इंकिंग और कलरिंग के बाद न केवल सिम्प्लिफाई हो जाती है बल्कि लेयर्स के पीछे छिप जाती है।
हम सोच रहे थे कि इसे और कैसे निखारा जाए। आयुष ने विचार दिया कि पेन्सिल को डार्क किया जाए, तो नितिश ने सुझाव दिया ब्लू प्रिंट की तरह पौराणिक वे में प्रकाशित किया जाए क्योंकि कहानी में भी पुराण आदि की चर्चा है। सभी के विचारों का जो संयुक्त रिजल्ट आया, वह एकदम अद्भुद रहा जैसा कभी हमने भारतीय कॉमिक के इतिहास में आज तक नहीं देखा। हालांकि इस तरह का आर्ट Japanese Manga में बहुत कॉमन है, लेकिन भारत भूमि पर शायद यह एक नया प्रयोग है।
विचार तो बन गया था कि इसे यथारूप प्रकाशित किया जाए, किन्तु यह भी इतना आसान नहीं था। हमें जल्द से जल्द इस कॉमिक को प्रकाशित करना था इसलिए इस प्रोजेक्ट को नाम दिया-‘प्रोजेक्ट रॉकेट’ और राज कॉमिक्स बाय मनोज गुप्ता की पूरी टीम इसमें दिन-रात जुट गई। यह हम सभी के संयुक्त युद्धस्तर के प्रयास ही रहे हैं कि यह कॉमिक आज आपके हाथों में है। रॉकेट की गति से जो रची गई, वह शक्तिरूपा अब आपकी नजरों के सामने है। और हमारा दावा है, कि जिस गति से इसे निर्मित किया गया है, उसी गति से आप इसे पढ़ते चले जाएंगे।
अब आप इस कॉमिक के रॉकेट पर दूसरी दुनिया की उड़ान भरें।
राज कॉमिक्स है हम सबका जुनून!
आपका मनोज गुप्ता।

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Shaktiroopa (Yatharoop)

  • Brand: Raj Comics
  • Product Code: Shaktiroopa (Yatharoop)
  • Availability: In Stock
  • ₹1,100.00INR
  • ₹990.00INR


Tags: Dhruva, Raj Comics, Raj Comics By Manoj Gupta